कोरोना से हमारे देश भारत पर कितना असर पड़ा है
यदि आपके कोई भी मित्र विदेश में कहीं भी रहते हों उनसे पूँछिए कि उनके देश में पिछले कुछ महीनों में डीज़ल पेट्रोल के दाम कितने बढ़े. शायद ही कोई देश ऐसा हो जहां ये दाम 35-40% से कम बढ़े हों. सिलिकान क्राइसिस का आलम यह है कि अमेरिका जैसे देशों में मनचाहा कम्प्यूटर लेना मुश्किल हो रहा है लम्बी लम्बी अड्वैन्स बुकिंग चल रही है. नई गाड़ियाँ बाज़ार में नहीं आ पा रही हैं. अमेरिका जैसे देश जहां महंगाई दर लगभग शून्य के आस पास होती थी, बैंक जमा रक़म पर ब्याज देता नहीं उल्टा लेता है, fd पर एक दो प्रतिशत ब्याज मिलता था, आज वहाँ महंगाई दर पाँच प्रतिशत क्रॉस है. करोना ने दुनिया की इकॉनमी बर्बाद कर दी. कोई देश ऐसा न मिलेगा जहां बेरोज़गारी चरम पर न हो. जो विकसित देश हैं वह तो फ़िर भी झेल गए पाकिस्तान, श्री लंका, नेपाल जैसे देश तो बर्बाद हो गए, इकॉनमी तबाह है. इन सबके बीच भारत में चीजें अपेक्षा कृत फ़िर भी कंट्रोल में हैं. पेट्रोल डीज़ल के रेट शेष विश्व के मुक़ाबले लिमिट में बढ़े. gdp से ...