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Showing posts from April, 2022

कोरोना से हमारे देश भारत पर कितना असर पड़ा है

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यदि आपके कोई भी मित्र विदेश में कहीं भी रहते हों उनसे पूँछिए कि उनके देश में पिछले कुछ महीनों में डीज़ल पेट्रोल के दाम कितने बढ़े. शायद ही कोई देश ऐसा हो जहां ये दाम 35-40% से कम बढ़े हों.   सिलिकान क्राइसिस का आलम यह है कि अमेरिका जैसे देशों में मनचाहा कम्प्यूटर लेना मुश्किल हो रहा है लम्बी लम्बी अड्वैन्स बुकिंग चल रही है. नई गाड़ियाँ बाज़ार में नहीं आ पा रही हैं.    अमेरिका जैसे देश जहां महंगाई दर लगभग शून्य के आस पास होती थी, बैंक जमा रक़म पर ब्याज देता नहीं उल्टा लेता है, fd पर एक दो प्रतिशत ब्याज मिलता था, आज वहाँ महंगाई दर पाँच प्रतिशत क्रॉस है.    करोना ने दुनिया की इकॉनमी बर्बाद कर दी. कोई देश ऐसा न मिलेगा जहां बेरोज़गारी चरम पर न हो.   जो विकसित देश हैं वह तो फ़िर भी झेल गए पाकिस्तान, श्री लंका, नेपाल जैसे देश तो बर्बाद हो गए, इकॉनमी तबाह है.   इन सबके बीच भारत में चीजें अपेक्षा कृत फ़िर भी कंट्रोल में हैं. पेट्रोल डीज़ल के रेट शेष विश्व के मुक़ाबले लिमिट में बढ़े. gdp से ...

माँ विंध्यवासिनी मंदिर मे चांदी के 101 KG दरवाजे की स्थापना

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*मां विंध्यवासिनी मंदिर में लगवाया 101 KG का चांदी का दरवाजा .......  80 लाख है कीमत* ...... कई लोगों की भगवान में काफी आस्था होती है. आपने लोगों को मंदिरों में दान करते हुए देखा होगा.  *मंदिर में दान किया चांदी का 101 किलो का दरवाजा*....... चांदी के बने 101 किलो का दरवाजा झारखंड के रांची में रहने वाले भक्त संजय चौधरी ने लगवाया. उन्होंने इसे माता रानी की कृपा बताते हुए कहा कि यह सब मां के आशीर्वाद का फल है. *करीब 80 लाख रुपये है दरवाजे की कीमत*........ चांदी के दरवाजे का निर्माण राजस्थान झुनझुनू के पांच कारीगरों विक्रम, प्रमोद, गोपाल एवं संजय ने किया है. माता विंध्यवासिनी के दरबार के प्रथम गणेश द्वार पर लगने वाले 101 किलो के रजत द्वार की कीमत करीब 80 लाख रुपये आंकी गई. *पुजारियों ने विधि-विधान से लगवाया दरवाजा*......... यह दरवाजा सवा पांच फीट लंबा व दो फीट चौड़ा है. गुरुवार को मंदिर के पुजारियों ने विधि-विधान से पूजन पाठ कर मंत्रोच्चारण के साथ यह दरवाजा लगवाया. इसके पूर्व यह द्वार पीतल का बना था.  *25 साल से मंदिर दर्शन के ल...

आखिर 22 -23 साल के युवाओं को गंभीर बीमारी क्यों हो रही है !

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आखिर 22 -23 साल के युवाओं को गंभीर बीमारी क्यों हो  रही है ! 1. दस रू किलो टमाटर  लेकर ताजा चटनी खा सकते हैं,  मगर हम डेढ़ सौ रू किलो टमाटो साँस खाते हैं वो भी एक दो माह पहले बनी हुई बासी, कई प्रकार के केमिकल डला हुआ ।           2. पहले हम एक दिन पुराना घड़े का पानी नहीं पीते थे, घर में रोज सुबह घड़े का पानी बदलते थे, अब तीन माह पुराना बोतल का पानी बीस रू लीटर खरीद कर पी रहे हैं, केमिकल डला हुआ ।        3.  पचास रू लीटर का दूध हमे महंगा लगता हैं और सत्तर रू लीटर का दो महीने पहले बना हुआ कोल्ड ड्रिंक हम पी लेते हैं।इसमें पूरा का पूरा केमिकल डला हुआ । 4. दो सौ रू पाव मिलने वाला शरीर को ताकत देने वाला ड्राई फ्रुट हमें महंगा लगता है मगर  200  रू. का मैदे से बना पीज्जा शान से खा रहे हैं, इसमे बहुत सारे केमिकल डला हुआ । 5.  अपनी रसोई का सुबह का खाना हम शाम को खाना पसंद नहीं करते जब कि कंपनियों के छह छह माह पुराने सामान हम खा रहे हैं जबकि हम जानते है कि खाने को सुरक्षित रखने के लिए उसमें प्रिजर्वेटिव मिलाया जात...